Sunday, April 7, 2019



We are here for to give you a door step services for you.
About Us:
We, Tax Doctors Group, situated at Kankarbagh, Patna, Bihar, are multidisciplinary team of accounting, tax and audit professionals with deep, sector-specific experience in wide spectrum of Industries. We offer a range of services to meet the complex and evolving accounting, tax and compliance challenges that you face on multiple fronts. Mission of our firm is to provide clients with the 'one stop Solution' for all their businesses, financial and regulatory requirement.
Why Us :
1. We offer support services that can free up management to concentrate on important aspects of their business.
2. We have proven experience of managing end to end finance and accounts processes from initial invoicing till payment.
3. We turn numbers into actionable business intelligence - building a better picture offering better finance.
4. We explore ideas and help you plan for a more profitable future wherever you are in your business life cycle
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Thursday, February 7, 2019

Monday, February 4, 2019

 
         

टैक्स देनदारी शून्य करना चाहते हैं तो इन टैक्स नियमों का उठाएं फायदा


अंतरिम बजट में कम इनकम वालों के लिए बड़ी राहत का एलान हुआ है. वित्त वर्ष 2019-20 में जिन लोगों की टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक होगी, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. जिन लोगों की आय इसके आसपास है, वे भी टैक्सेबल इनकम को इस आंकड़े के अंदर लाने के लिए टैक्स नियमों का फायदा उठा सकते हैं. आयकर कानून में तमाम तरह के डिडक्शन उपलब्ध हैं, इनकी मदद से अपनी टैक्सेबल इनकम को कम किया जा सकता है. 

आपकी इनकम पर कैसे कैलकुलेट होता है टैक्स? 
पहले सभी स्रोतों से आमदनी को जोड़कर आपकी कुल इनकम कैलकुलेट की जाती है. फिर उन सभी डिडक्शन (टैक्स ब्रेक) को इस आंकड़े से घटाया जाता है, जो आप क्लेम करते हैं. इससे आपकी टैक्सेबल यानी कर योग्य इनकम मिल जाती है. इसी से पता चलेगा कि आपको 5 लाख रुपये की कमाई पर 100 फीसदी टैक्स रिबेट मिलेगा कि नहीं.

मान लेते हैं कि आपकी कुल इनकम 6 लाख से 11 लाख रुपये की रेंज में है. इस मामले में आपको इस तरह से प्लानिंग करनी होगी कि आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 5 लाख रुपये से नीचे आ जाए. यहां हम आयकर कानून में उपलब्ध सभी डिडक्शनों के बारे में बता रहे हैं. कुछ अलाउंस भी हैं जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं.
यहां हम आयकर कानून में उपलब्ध सभी डिडक्शनों के बारे में बता रहे हैं. कुछ अलाउंस भी हैं जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं.

सेक्शन 80सी : आयकर कानून का यह सेक्शन टैक्सेबल इनकम घटाने के लिए आपको टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने को कहता है. इसके तहत कुछ खास विकल्पों में हर साल 1.5 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है. इन विकल्पों में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), ईपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट इत्यादि शामिल हैं.

सेक्शन 80सीसीडी (1बी) : एनपीएस में निवेश कर आप अतिरिक्त 50,000 रुपये के डिडक्शन को क्लेम कर सकते हैं. यदि सेक्शन 80सी और 80सीसीडी(1बी) को मिला दें तो 2 लाख रुपये तक की टैक्स बचत का रास्ता खुल जाता है. 

सेक्शन 80सीसीडी (2) : 2 लाख रुपये से इतर एनपीएस अकाउंट में संस्थान के कॉन्ट्रिब्यूशन पर भी डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. आप बेसिक सैलरी प्लस डियरनेस अलाउंस के 10 फीसदी तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. 

सेक्शन 80डी : परिवार और अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करने पर आप टैक्स बचत कर सकते हैं.

सेक्शन 80डीडीबी : कुछ खास तरह की बीमारियों पर किया जाना वाला खर्च इस सेक्शन के दायरे में आता है.
 सेक्शन 80ई : एजुकेशन लोन के ब्याज भुगतान पर इस सेक्शन के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है.
 सेक्शन 80जी : राहत कोष और चैरिटेबल ट्रस्ट को दान इस सेक्शन के तहत आते हैं. दान की रकम कुल इनकम से घट जाती है. 
सेक्शन 80जीजी : किराए के मकान में रहने वाले लोग इस सेक्शन के अंतर्गत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
  
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छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत: अब 40 लाख रुपये तक के कारोबार को जीएसटी से छूट



                   छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुये जीएसटीकाउंसिल ने जीएसटी से छूट की सीमा को दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया. इसके अलावा अब डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयां एक प्रतिशत दर से जीएसटीभुगतान की कम्पोजिशन योजना का फायदा उठा सकेंगी. यह व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी होगी. पहले एक करोड़ रुपये तक के कारोबार पर यह सुविधा प्राप्त थी. हालांकि, राज्यों को 20 लाख रुपये या 40 लाख रुपये की छूट सीमा में से किसी को भी चुनने का विकल्प होगा. क्योंकि कुछ राज्य छूट सीमा बढ़ाने को राजी नहीं थे. उनका कहना था कि छूट सीमा बढ़ाने से उनके करदाताओं का आधार सिकुड़ जायेगा. उन्हें विकल्प चुनने के लिय्रे एक सप्ताह का समय दिया गया है. 

                                   वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि छोटे कारोबारियों के लिये जीएसटी छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के व्यवसायियों के लिये पहले यह सीमा दस लाख रुपये थी. जीएसटी परिषद की इस पहल से पंजीकृत 1.17 करोड़ कारोबारियों में से करीब 70 प्रतिशत का फायदा होगा. उद्योग मंडल सीआईआई का ऐसा कहना है. सूत्रों ने कहा कि यदि सभी राज्यों द्वारा छूट सीमा दोगुनी करने के फैसले को लागू किया जाता है तो इससे सालाना 5,200 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा. इसके अलावा परिषद ने केरल को दो साल के लिए राज्य में एक प्रतिशत ‘आपदा' उपकर लगाने की अनुमति दे दी है. 


    कम्पोजिशन योजना के तहत लिये गये इन दोनों निर्णयों से राजस्व पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये तक का प्रभाव होगाय जेटली ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘जीएसटी परिषद ने अपनी 32वीं बैठक में बृहस्पतिवार को एमएसएमई क्षेत्र को बड़ी राहत दी है.''

Saturday, January 12, 2019